<p>भारत की भूवैज्ञानिक संरचना और भू-इतिहास (Geological Structure and Geo-History of India)</p>

भारत की भूवैज्ञानिक संरचना और भू-इतिहास (Geological Structure and Geo-History of India)

Published on September 9, 2025

भारत की भू-गर्भिक संरचना (Geological Structure of India)

भारत की भू-गर्भिक संरचना का विकास गोंडवानालैंड और अंगारालैंड के विभाजन से शुरू होता है।

  • अंगारालैंड और गोंडवानालैंड के बीच स्थित भू-सन्नति: टेथिस सागर।

  • भारतीय उपमहाद्वीप मूल रूप से किसका हिस्सा है: गोंडवानालैंड।

  • पुराचुंबकीय साक्ष्यों के अनुसार: भारतीय भूखंड भूतल में उत्तर दिशा की ओर अग्रसर हुआ।

  • पश्चिमी तट का निर्माण: भूमि के उत्थान एवं निमज्जन (submergence) के कारण हुआ।

अंगारालैंड और गोंडवानालैंड के भाग:

  • अंगारालैंड: यूरोप, एशिया, उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड।

  • गोंडवानालैंड: प्रायद्वीपीय भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, मेडागास्कर।


प्री-कैंब्रियन युग (Pre-Cambrian Period)

इस युग में आर्केयन, धारवाड़, कुडप्पा और विंध्यन संरचनाओं का विकास हुआ।

1. आर्केयन संरचना (Archean Structure):

  • निर्माण: गर्म पिघले हुए पदार्थों (लावा, मैग्मा) के ठंडा होने से।

  • विशेषता: इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाए जाते।

  • प्रमुख क्षेत्र: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छोटा नागपुर का पठार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, मेघालय का पठार और बुंदेलखंड क्षेत्र।

  • चट्टानों का प्रकार: आग्नेय चट्टानें।

  • अरावली पर्वत का निर्माण: इस काल में मोड़दार पर्वतों के रूप में हुआ था।

2. धारवाड़ संरचना (Dharwar Structure):

  • निर्माण: प्री-कैंब्रियन काल में आग्नेय और कायांतरित चट्टानों के अपरदन और निक्षेपण से।

  • विशेषता: जीवाश्म रहित, कायांतरित अवसादी संरचना।

  • प्रमुख क्षेत्र: कर्नाटक के धारवाड़ क्षेत्र में सर्वाधिक विकास। हिमालय की श्रेणियों (लद्दाख, जास्कर, गढ़वाल और कुमाऊं) में भी पाई जाती हैं।

  • खनिज: धात्विक खनिजों (लौह अयस्क, तांबा, मैंगनीज, अभ्रक, चांदी, सोना) का सबसे अधिक भंडार।

3. कुडप्पा संरचना (Cuddapah Structure):

  • निर्माण: आर्केयन और धारवाड़ संरचनाओं के अपरदन से प्राप्त अवसादों के निक्षेपण से।

  • प्रमुख क्षेत्र: आंध्र प्रदेश के 'कुडप्पा क्षेत्र' में सर्वाधिक विकास।

  • खनिज: चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, एस्बेस्टस और संगमरमर के लिए प्रसिद्ध।

4. विंध्यन संरचना (Vindhyan Structure):

  • निर्माण: जल निक्षेपों द्वारा।

  • चट्टानों का प्रकार: अवसादी चट्टानें।

  • प्रमुख क्षेत्र: सासाराम व रोहतास क्षेत्र (बिहार), चित्तौड़गढ़ (राजस्थान), होशंगाबाद (मध्य प्रदेश), आगरा।

  • हीरे की खानें: पन्ना (मध्य प्रदेश) और गोलकुंडा (आंध्र प्रदेश) की हीरे की खानें इसी संरचना में पाई जाती हैं।


पेलियोजोइक युग (Paleozoic Era)

गोंडवाना संरचना (Gondwana Structure):

  • विकास: 'कार्बनिफेरस-पर्मियन' युग में प्रायद्वीपीय भारत में।

  • निर्माण: अवसादों के निक्षेपण से।

  • प्रमुख विशेषता: भारत का कोयला (बिटुमिनस) इसी संरचना में पाया जाता है। यह भारत की नवीनतम चट्टान प्रणाली है।

  • संबंध: दामोदर, महानदी, गोदावरी, सोन और नर्मदा नदी बेसिन से।

  • गोंडवाना लैंड का टूटना: जुरासिक युग में शुरू हुआ।


मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era)

दक्कन ट्रैप (Deccan Trap):

  • निर्माण: बेसाल्ट चट्टान से।

  • विकास: महाराष्ट्र और मालवा क्षेत्र में।

  • अन्य क्षेत्र: गुजरात का काठियावाड़ प्रायद्वीप, कर्नाटक का बेंगलुरु-मैसूर पठार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के पठार, छोटा नागपुर के राजमहल पर्वतीय क्षेत्र।

  • राजमहल ट्रैप का निर्माण: जुरासिक काल में।

  • दक्कन ट्रैप का निर्माण: क्रिटेशियस काल में।


सेनोजोइक काल (Cenozoic Era)

  • अर्थ: 'नवीन जीवन'।

  • पेट्रोलियम पदार्थ: टर्शियरी क्रम की अवसादी चट्टानों में पाए जाते हैं।

  • हिमालय की उत्पत्ति:

    • वृहत हिमालय: ओलिगोसीन काल में।

    • लघु/मध्य हिमालय: मायोसीन काल में।

    • शिवालिक हिमालय: प्लायोसीन काल में।

  • विशाल मैदान: बांगर और खादर रूपों का विकास अत्यंत नूतन युग में हुआ।

  • पश्चिमी घाट का निर्माण: उत्तर नूतन काल में।

  • थार मरुस्थल: प्लीस्टोसीन और अभिनव जमाव का विस्तार है।