<p>भारत में मध्यपाषाण काल: प्रमुख स्थल और खोजें।</p>

भारत में मध्यपाषाण काल: प्रमुख स्थल और खोजें।

Published on September 8, 2025

मध्यपाषाण काल: एक अवलोकन

मध्यपाषाण काल पुरापाषाण काल (पुराना पाषाण युग) और नवपाषाण काल (नया पाषाण युग) के बीच का एक महत्वपूर्ण संक्रमण काल था। भारत में, इसका महत्व मोटे तौर पर 9000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व तक माना जाता है।


भारत में प्रमुख खोजें और स्थल

  • पहली खोज: भारत में मध्यपाषाण संस्कृति की सबसे पहली जानकारी ए.सी.एल. कार्लाइल ने 1867-68 में दी थी। उन्होंने विंध्य क्षेत्र की शैल चित्रों में पहली बार मध्यपाषाण काल के औजारों की खोज की थी।

  • औजारों की तकनीक: मध्यपाषाण काल के औजार बहुत छोटे होते थे, जिन्हें माइक्रोलिथ औजार कहा जाता था। ये औजार जैस्पर, चलसिडनी, चर्ट फ्लिंट और क्वार्टजाइट जैसे पत्थरों से बने होते थे। इनका आकार अक्सर चंद्राकार, अर्धचंद्राकार या त्रिभुजाकार होता था।

  • पशुपालन के साक्ष्य: मध्यपाषाण काल में पशुपालन के सबसे प्राचीन साक्ष्य इन स्थलों से मिले हैं:

    • आदमगढ़ (होशंगाबाद, मध्य प्रदेश)

    • बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान)

    • बागोर स्थल पर लगभग 5000 ईसा पूर्व से ही मवेशियों, भेड़, बकरी और सुअर को पालतू बनाने के प्रमाण मिले हैं।

  • मानव कंकाल: मध्यपाषाण काल में मानव कंकाल का सबसे पहला अवशेष सराय नाहर राय और महदहा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुआ है।

  • कृषि के साक्ष्य: जंगली धान के प्रमाण चोपानी मांडो (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) से मिले हैं।

  • शैल चित्र: भारत में सर्वाधिक शैल चित्र भीमबेटका (मध्य प्रदेश) से प्राप्त हुए हैं। ये चित्र अक्सर शिकार, नृत्य और युद्ध के दृश्यों को दर्शाते हैं।

  • हड्डियाँ और कब्रें:

    • हड्डी से बने औजार महदहा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुए हैं।

    • एक ही कब्र से तीन मानव कंकाल दमदमा से प्राप्त हुए हैं।

    • महदहा में एक कसाईखाने (पशु वध स्थल) के साक्ष्य भी मिले हैं।


अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत में मानव के सबसे पहले साक्ष्य नर्मदा घाटी के बोरी (महाराष्ट्र) से मिले हैं।

  • होमो इरेक्टस प्रजाति की खोपड़ी हथनौरा (नर्मदा घाटी) से मिली है।

  • बेलन नदी घाटी (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) को "भारतीय प्रागैतिहासिक काल की पाठ्यपुस्तक" कहा जाता है।

  • बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान) भारत में ज्ञात सबसे विशाल मध्यपाषाण आवासीय स्थल है।

  • सबसे प्राचीन कलाकृतियों के प्रमाण उच्च पुरापाषाण काल और मध्यपाषाण काल से संबंधित हैं।

  • भारत में खोजा गया सबसे पहला नवपाषाण स्थल लिंगसुगुर (मैसूर) 1842 में था।