<p>भारतीय संविधान: एक विस्तृत अवलोकन</p>

भारतीय संविधान: एक विस्तृत अवलोकन

Published on August 15, 2025


I. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background)
A. कंपनी शासन (1773-1858)

रेग्युलेटिंग एक्ट, 1773:
भारत में सुनिश्चित शासन प्रणाली का आरंभ किया।
बंगाल के गवर्नर को 'बंगाल का गवर्नर-जनरल' बनाया गया; वॉरेन हेस्टिंग्स पहले गवर्नर-जनरल बने।
कलकत्ता में 1774 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना हुई।

पिट्स इंडिया एक्ट, 1784:
कंपनी के राजनीतिक और वाणिज्यिक कार्यों को अलग किया गया।
राजनीतिक मामलों के लिए 'बोर्ड ऑफ कंट्रोल' की स्थापना की गई।

चार्टर एक्ट, 1813:
चाय और चीन के साथ व्यापार को छोड़कर कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
भारतीयों की शिक्षा के लिए प्रति वर्ष एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया।

चार्टर एक्ट, 1833:
बंगाल के गवर्नर-जनरल को 'भारत का गवर्नर-जनरल' बनाया गया; लॉर्ड विलियम बैंटिक पहले भारत के गवर्नर-जनरल बने।
कंपनी के सभी वाणिज्यिक एकाधिकार समाप्त कर दिए गए।
दास प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया गया।

चार्टर एक्ट, 1853:
गवर्नर-जनरल के विधायी और प्रशासनिक कार्यों को अलग किया गया।
सिविल सेवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की शुरुआत हुई और इसे भारतीयों के लिए भी खोल दिया गया।


B. ताज का शासन (1858-1947)

भारत शासन अधिनियम, 1858:
भारत का शासन सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन चला गया।
गवर्नर-जनरल को 'वायसराय' कहा जाने लगा; लॉर्ड कैनिंग पहले वायसराय बने।
'बोर्ड ऑफ कंट्रोल' और 'बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स' को समाप्त कर 'भारत के राज्य सचिव' का पद सृजित किया गया।

भारत परिषद अधिनियम, 1861:
पहली बार भारतीयों को कानून बनाने की प्रक्रिया में शामिल किया गया।
वायसराय को अध्यादेश जारी करने की शक्ति दी गई।
लॉर्ड कैनिंग द्वारा विभागीय प्रणाली (Portfolio System) की शुरुआत की गई।

भारत परिषद अधिनियम, 1892:
केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों के सदस्यों को बजट पर बहस करने और प्रश्न पूछने का अधिकार मिला।
अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत हुई।

भारत परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार):
मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन (सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व) की व्यवस्था की गई।
लॉर्ड मिंटो को 'सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का जनक' माना जाता है।
सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय बने।

भारत शासन अधिनियम, 1919 (मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार):
प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत हुई।
केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्था (राज्यसभा और लोकसभा) स्थापित की गई।
पहली बार महिलाओं को सीमित मताधिकार प्रदान किया गया।
केंद्रीय बजट को राज्य बजट से अलग किया गया।

भारत शासन अधिनियम, 1935:
एक 'अखिल भारतीय संघ' की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।
प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त कर प्रांतीय स्वायत्तता शुरू की गई।
केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत हुई।
संघीय न्यायालय (Federal Court) की स्थापना का प्रावधान किया गया।
बर्मा (म्यांमार) को भारत से अलग कर दिया गया।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947:
माउंटबेटन योजना पर आधारित था।
15 अगस्त 1947 को भारत को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र घोषित किया गया।
वायसराय का पद समाप्त कर दोनों डोमिनियन में गवर्नर-जनरल का पद सृजित किया गया।


II. संविधान का निर्माण (Making of the Constitution)

संविधान सभा की मांग:
सर्वप्रथम 1922 में महात्मा गांधी ने संविधान सभा का उल्लेख किया।
1934 में स्वराज पार्टी ने आधिकारिक रूप से इसकी मांग की।

गठन:
कैबिनेट मिशन योजना (1946) के तहत गठन हुआ।
कुल सदस्य संख्या 389 थी (296 ब्रिटिश भारत से, 93 देसी रियासतों से)।

कार्यप्रणाली:
पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई।
डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
11 दिसंबर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने 'उद्देश्य प्रस्ताव' पेश किया।

प्रमुख समितियाँ:
प्रारूप समिति: अध्यक्ष - डॉ. बी.आर. अंबेडकर।
संघ शक्ति समिति: अध्यक्ष - जवाहरलाल नेहरू।
प्रांतीय संविधान समिति: अध्यक्ष - सरदार वल्लभभाई पटेल।

स्वीकृति एवं लागू होना:
संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत (Adopt) किया गया।
संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे।
संविधान 26 जनवरी, 1950 को पूर्ण रूप से लागू हुआ।
मूल संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं।
III. संविधान के स्रोत (Sources of the Constitution)
भारत शासन अधिनियम, 1935: संघीय व्यवस्था, न्यायपालिका, राज्यपाल का कार्यालय, लोक सेवा आयोग।
ब्रिटेन: संसदीय शासन, विधि का शासन, एकल नागरिकता, द्विसदनीय व्यवस्था।
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): मूल अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, राष्ट्रपति पर महाभियोग, प्रस्तावना का विचार।
आयरलैंड: राज्य के नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति, राज्यसभा के लिए सदस्यों का मनोनयन।
कनाडा: सशक्त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना, राज्यपाल की नियुक्ति।
ऑस्ट्रेलिया: समवर्ती सूची, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, प्रस्तावना की भाषा।
जर्मनी (वाइमर संविधान): आपातकाल के दौरान मूल अधिकारों का निलंबन।
सोवियत संघ (अब रूस): मूल कर्तव्य, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श।
फ्रांस: गणतंत्रात्मक व्यवस्था, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व का सिद्धांत।
दक्षिण अफ्रीका: संविधान संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन।
जापान: विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।

IV. उद्देशिका/प्रस्तावना (Preamble)
आधार: जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत 'उद्देश्य प्रस्ताव' पर आधारित है।
संशोधन: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा इसमें 'समाजवादी', 'पंथनिरपेक्ष' और 'अखंडता' शब्द जोड़े गए।
महत्व: इसे 'संविधान की कुंजी' और 'संविधान की आत्मा' कहा जाता है।
संप्रभुता: प्रस्तावना के अनुसार, भारत में संप्रभुता "हम भारत के लोग" में निहित है।
न्यायालय में स्थिति: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को संविधान का भाग माना।

V. संघ और उसका राज्य क्षेत्र (Union and its Territory)
अनुच्छेद 1: भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ (Union of States) होगा।
राज्यों का गठन: संसद विधि द्वारा नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सकती है।

भाषाई आधार पर गठन:
1953 में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य आंध्र प्रदेश था।
राज्य पुनर्गठन आयोग (फजल अली आयोग) की सिफारिश पर 1956 में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए।
रियासतों का एकीकरण:
अधिकांश रियासतें स्वेच्छा से भारत में शामिल हुईं।
जूनागढ़ को जनमत संग्रह द्वारा, हैदराबाद को पुलिस कार्यवाही (ऑपरेशन पोलो) द्वारा और कश्मीर को विलय पत्र पर हस्ताक्षर द्वारा शामिल किया गया।