<ul><li>भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास: प्राचीन काल से वर्तमान तक का सफर</li><li> </li></ul>

  • भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास: प्राचीन काल से वर्तमान तक का सफर
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Published on August 11, 2025

भारत का आर्थिक इतिहास सदियों से एक लंबी और परिवर्तनकारी यात्रा रही है, जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने से लेकर औपनिवेशिक शोषण और फिर आधुनिक प्रगति तक फैली हुई है।

 

प्राचीन और मध्यकालीन भारत (ईसा पूर्व - 18वीं शताब्दी)

 

  • कृषि आधारित अर्थव्यवस्था: प्राचीन और मध्यकालीन भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी। उपजाऊ भूमि, विविध जलवायु और उन्नत कृषि तकनीकों ने देश को अनाज, मसाले और कपास जैसे उत्पादों का एक प्रमुख केंद्र बनाया।
  • व्यापार का केंद्र: भारत दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्रों में से एक था। यहाँ से सूती वस्त्र, मसाले, रत्न और धातुओं का निर्यात किया जाता था। सिंधु घाटी सभ्यता में भी व्यापार के प्रमाण मिलते हैं, जबकि गुप्त काल में व्यापार और वाणिज्य अपने चरम पर था।
  • उन्नत शिल्प और उद्योग: भारतीय कारीगर अपनी धातुकर्म, वस्त्र उत्पादन (मलमल और रेशम) और आभूषण बनाने की कला के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थे।

 

औपनिवेशिक काल (18वीं शताब्दी - 1947)

 

ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया।

  • कच्चे माल का स्रोत: भारत को ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल (कपास, जूट, नील) के आपूर्तिकर्ता के रूप में बदल दिया गया।
  • उद्योगों का पतन: ब्रिटेन से सस्ते, मशीनीकृत माल के आयात ने भारत के पारंपरिक हस्तशिल्प और उद्योगों को नष्ट कर दिया।
  • संपदा का निकास: ब्रिटिश नीतियों के कारण भारत की संपत्ति का बड़े पैमाने पर ब्रिटेन को हस्तांतरण हुआ, जिसे 'ड्रेन ऑफ वेल्थ' कहा जाता है। इसने भारत में गरीबी और अकाल को बढ़ावा दिया।

 

स्वतंत्रता के बाद का भारत (1947 - वर्तमान)

 

  • शुरुआती योजना (1947-1991): स्वतंत्रता के बाद भारत ने समाजवादी मॉडल को अपनाया, जिसमें पंचवर्षीय योजनाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों पर जोर दिया गया। इस अवधि में हरित क्रांति ने देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।
  • आर्थिक सुधार (1991): 1991 में एक गंभीर आर्थिक संकट के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने बड़े आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार के लिए खोल दिया।

     

     

  • आधुनिक प्रगति: इन सुधारों के बाद भारत ने तेजी से विकास किया और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया। कृषि के अलावा, सेवा क्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी ने जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देना शुरू कर दिया है।