<p>नव-पाषाण काल: सभ्यता के शुरुआती कदम (Neolithic Period: The First Steps of Civilization)</p>

नव-पाषाण काल: सभ्यता के शुरुआती कदम (Neolithic Period: The First Steps of Civilization)

Published on September 8, 2025

प्रमुख कालक्रम और स्थल

  • विश्व स्तर पर प्रारंभ: नव-पाषाण काल का प्रारंभ आम तौर पर 9000 ईसा पूर्व से माना जाता है।

  • भारत में प्रारंभ: भारतीय उपमहाद्वीप में नव-पाषाण काल की तिथि 7000 ईसा पूर्व मानी जाती है।

  • मेहरगढ़ (Mehrgarh): पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यह स्थल 7000 ईसा पूर्व की एक नव-पाषाणकालीन बस्ती का प्रमाण देता है। यह एक महत्वपूर्ण स्थल है क्योंकि यह पाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेषों को दर्शाता है।

  • कृषि के शुरुआती साक्ष्य:

    • लहुरादेव (Lohuradeva): उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर में स्थित इस स्थल पर भारत में कृषि के सबसे पुराने साक्ष्य मिले हैं, जो 9000 से 7000 ईसा पूर्व के हैं।

    • मेहरगढ़: भारत में गेहूँ की खेती का सबसे पुराना साक्ष्य यहीं से मिला है (7000 ईसा पूर्व)। यहां पालतू भैंस के भी सबसे पुराने साक्ष्य मिले हैं।

    • कोल्डीहवा (Koldihwa): इलाहाबाद में स्थित इस स्थल पर भारत में चावल की खेती का सबसे पुराना साक्ष्य मिला है।


खोज और नवाचार

  • पहले पाषाण उपकरण: पहले नव-पाषाणकालीन पत्थर के उपकरण 1860 में ले मेसुरियर द्वारा उत्तर प्रदेश की टोंस नदी घाटी से प्राप्त किए गए थे।

  • बुर्जहोम (Burzahom): जम्मू और कश्मीर में स्थित इस स्थल की खोज 1935 में डी. टेरा और पीटरसन ने की थी।

    • यह गर्तवास (गड्ढे वाले घर) के साक्ष्य के लिए प्रसिद्ध है।

    • यह वह स्थल भी है जहाँ मानव कंकाल के साथ कुत्ते के कंकाल के अवशेष मिले हैं।

    • फसल काटने के लिए आयताकार पत्थर के उपकरण भी यहीं पाए गए थे।

  • चिरांद (Chirand): बिहार के सारण में स्थित यह स्थल पशुओं की हड्डी और हिरण के सींगों से बने औजारों के लिए जाना जाता है।

  • संगनकल्लू (Sanganakallu): कर्नाटक के बेल्लारी में पाए गए इस स्थल से राख के टीलों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। राख के अन्य टीले वाले स्थल पिकलीहल और उतनूर हैं।

  • घिसे हुए पत्थर के औजार: घिसे हुए पत्थर के औजारों की उपस्थिति एक कृषि अर्थव्यवस्था का सूचक है।

  • नव-पाषाण काल की प्रमुख देन:

    • स्थिर ग्रामीण जीवन का विकास।

    • कृषि का विकास।

    • कुम्भकारी (मिट्टी के बर्तन बनाना)।

    • आग का सर्वप्रथम प्रयोग।

    • पहिए का आविष्कार।

  • मनुष्य द्वारा सर्वप्रथम प्रयुक्त अनाज: जौ मनुष्य द्वारा प्रयोग किया जाने वाला पहला अनाज था।

  • उपकरण: बसुली, छेनी और छेद वाले गोल पत्थर जैसे उपकरण नव-पाषाण काल की विशेषता थे।


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

विविध खोजें

  • शैल-आश्रय (Rock shelters): चित्रित शैल-आश्रयों का सबसे बड़ा समूह जौरा, भीमबेटका में है।

  • सबसे पुरानी झोपड़ी का प्रमाण: भारत में सबसे पुरानी झोपड़ी का प्रमाण पैसरा, बिहार में मिला था।

  • शुतुरमुर्ग के अंडे पर कला: शुतुरमुर्ग के अंडों के खोल पर चित्रकारी के साक्ष्य उच्च पुरापाषाण काल से पाटणे में मिले हैं।

  • उत्कीर्ण शैलचित्र: इन्हें पेट्रोग्लिफ कहा जाता है।

  • मानव जीवाश्म: 2001 में ओडेई, केरल से एक जीवाश्मित मानव शिशु-कपाल प्राप्त हुआ था।

पुरातात्विक अवधारणाएँ

  • प्रागैतिहासिक पुरातत्व: प्रागैतिहास के अध्ययन का विषय निरक्षर समाजों का इतिहास है।

  • हस्त-कुठार उपकरण: हस्त-कुठार उपकरण बाईफेशियल विधि का उपयोग करके बनाए गए थे।

  • मुख्य व्यवसाय: पुरापाषाण काल के लोगों का मुख्य व्यवसाय शिकार करना था।

  • ऐशुलियन संस्कृति: भारी, बिना छिले हुए हस्त-कुठारों की विशेषता।

  • मौस्टेरियन संस्कृति: पश्चिमी यूरोप की मध्य पुरापाषाणकालीन संस्कृति।

  • मैग्डालेनियन संस्कृति: उच्च पुरापाषाण काल का दूसरा नाम, जिसे ब्लेड संस्कृति के रूप में भी जाना जाता है।

  • टोबा ज्वालामुखी राख: टोबा ज्वालामुखी की राख सबसे पहले सोन घाटी क्षेत्र में प्राप्त हुई थी।

  • अनुक्रमित अवशेष: पुरापाषाण, मध्य पाषाण और नव-पाषाण काल के अवशेष एक अनुक्रम में बेलन घाटी, विंध्य क्षेत्र और नर्मदा घाटी में पाए गए हैं।

  • पाषाण उपकरण निर्माण केंद्र: पाषाण उपकरण निर्माण का केंद्र ईसामपुर कर्नाटक राज्य में स्थित है।


प्रमुख व्यक्ति

  • भारतीय प्रागैतिहासिक पुरातत्व का जनक: ए. कनिंघम को भारतीय प्रागैतिहासिक पुरातत्व का जनक माना जाता है।