<p>प्रागैतिहासिक काल: पुरापाषाण युग, मानव सभ्यता और प्रमुख पुरातात्विक स्थल</p>

प्रागैतिहासिक काल: पुरापाषाण युग, मानव सभ्यता और प्रमुख पुरातात्विक स्थल

Published on September 8, 2025

प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age)

  • प्रागैतिहासिक काल उस समय को कहते हैं जिसका कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।
  • मानव ने इस काल में लगभग 30 लाख ईसा पूर्व अपना सांस्कृतिक जीवन शुरू किया था।
  • प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में बांटा गया है:
    1. निम्न पुरापाषाण युग (25,00,000 ई.पू. से 1,00,000 ई.पू.)
    2. मध्य पुरापाषाण युग (1,00,000 ई.पू. से 40,000 ई.पू.)
    3. उच्च पुरापाषाण युग (40,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू.)

पुरातात्विक खोजें और अनुसंधान

  • भारत में पाषाण युग से संबंधित अनुसंधान 1863 ईस्वी में शुरू हुआ था।
  • भू-वैज्ञानिक और पुरातत्वविद् रॉबर्ट ब्रूस फुट ने भारत में पाषाण युगीन बस्तियों का अन्वेषण शुरू किया।
  • उन्होंने मद्रास के पास पल्लवरम नामक स्थान से पहला हैंड-एक्स (हस्तकुठार) प्राप्त किया।
  • विलियम किंग ने अतिरमपक्कम नामक स्थान से पूर्व पाषाण काल के औजारों की खोज की थी।
  • थामसन ने डेनमार्क के कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री के आधार पर पाषाण, कांस्य और लौह युग का त्रियुगीन विभाजन किया।
  • डॉ. अरुण सोनकिया ने 5 दिसंबर, 1982 को नर्मदा घाटी में स्थित हथनौरा पुरास्थल की खोज की थी।

मानव विकास का क्रम

मानव विकास का क्रम इस प्रकार है:

  1. रामापिथेकस
  2. ऑस्ट्रेलोपिथेकस: यह मानव विकास के क्रम में मानव का आदि पूर्वज बना।
  3. होमो-इरेक्टस
  4. नियंडरथल: इस आदि मानव ने सबसे पहले शव विसर्जन और अग्नि का व्यापक उपयोग किया।
  5. होमोसेपियन्स: लगभग 30,000 साल पहले विकसित हुए आधुनिक मानव को होमोसेपियन्स कहा जाता है।

पाषाण युगों के औजार और स्थल

  • पुरापाषाण युग के औजार:
    • प्रकार: कोर उपकरण, हस्तकुठार (हैंड-एक्स), विदारणी (क्लीवर), खंडक, गड़ासा।
    • स्थल: बेलन घाटी (मिर्जापुर, उ.प्र.), सोहन घाटी, नर्मदा घाटी और भीमबेटका की चित्रित शैल-आश्रय।
  • मध्य-पुरापाषाण काल के औजार:
    • इसे फलक संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है।
    • प्रकार: वेधनी, छेदनी, खुरचनी।
    • बनावट: ये औजार शल्कों (flaky) से बने होते थे।
  • उच्च-पुरापाषाण काल के औजार:
    • इस युग को परिष्कृत औजारों का युग माना जाता है।
    • प्रकार: तक्षणी, खुरचनी (ब्लेड्स, ब्यूरिन्स)।
    • विशेष: बेलन घाटी (इलाहाबाद, उ.प्र.) से हड्डी की बनी मातृदेवी की मूर्ति मिली है।
  • चापर-चापिंग पेबुल संस्कृति: इसके औजार सोहन घाटी क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं।
  • सिहावल और संघोवा पुरास्थल निम्न पूर्व पाषाण संस्कृति के हैं।