विभिन्न विषयों के बारे में तथ्यों की एक विस्तृत श्रृंखला का ज्ञान ही सामान्य ज्ञान कहलाती है। सामान्य ज्ञान वह सूचना है जो विभिन्न माध्यमों से समय के साथ जमा होती रही है। यह विशिष्ट शिक्षण को शामिल करता है जो केवल व्यापक प्रशिक्षण और एक ही माध्यम तक सीमित जानकारी के साथ प्राप्त किया जा सकता है। सामान्य ज्ञान आज सभी तरह के प्रतियोगिता परीक्षाओं अनिवार्य है। सामान्य ज्ञान (General knowledge) के बहुत सारे महत्वपूर्ण Questions यहां पे Listed है। अपने समान्य ज्ञान को बढ़ाने के लिए एक बार जरूर पढ़े।
हड़प्पा और सिन्धु सभ्यता दो प्राचीन भारतीय सभ्यताओं में से एक हैं, जो प्राचीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण संग्रहक हैं। ये सभ्यता लगभग 2500 से 1900 ईसा पूर्व के बीच पाकिस्तान और भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित थीं।
सिन्धु सभ्यता भारत और पाकिस्तान के सिन्धु और सरवन नदी क्षेत्र में विकसित हुई थी। इस सभ्यता का प्रमुख स्थल लोथल, मोहेंजो-दारो और कालीबंदर हैं। सिन्धु सभ्यता के लोग नगरी प्रणाली का प्रयोग करते थे, जिसमें सड़कों का निर्माण, घरों का विशेष डिज़ाइन, सरकार के अवशेष, संगणकीय लेखन और अन्य गुण होते थे।
ये दो सभ्यताएँ व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण थीं और विदेशों के साथ व्यापार करती थीं। हड़प्पा और सिन्धु सभ्यता के लोग जीवन के विभिन्न पहलुओं में उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूपरूप की जानकारी के लिए प्राचीन लेखों, मूर्तियों, और खिलौनों के माध्यम से अध्ययन करने के लिए अध्ययन किया जा सकता है।
ये सभ्यताएँ लगभग 1900 ईसा पूर्व के बाद गायब हो गईं, और उनके अद्भुत गुप्त विलीन हो गए हैं, जिसके कारण इन सभ्यताओं के अस्तित्व के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।
Ques. 1:- हड़प्पा सभ्यता का सर्वाधिक मान्यताप्राप्त काल है–
- 2800 ई०पू०-2000 ई०पू०
- 2500 ई०पू०-1750 ई०पू०
- 3500 ई०पू०-1800 ई०पू०
- निश्चित नहीं हो सका है
रेडियो कार्बन C14 के आधार पर सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. मानी गयी है। सिन्धु सभ्यता आद्य ऐतिहासिक काल से संबद्ध मानी गयी है क्योंकि इसकी अभी तक कोई भी चित्रात्मक लिपि नहीं पढ़ी जा सकी है। ह्वीलर ने हड़प्पा को सुमेरियन सभ्यता का उपनिवेश कहा है। सर जॉन मार्शल ‘सिंधु सभ्यता’ शब्द का प्रयोग करने वाले पहले पुरातत्वविद् थे। सिन्धु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी तथा राखालदास बनर्जी ने की। सिन्धु सभ्यता को कांस्य (Bronze) युग में रखा गया है। हड़प्पा सभ्यता से चार प्रजातियों के अस्तित्व प्राप्त हुए हैं, इनमें सर्वाधिक संख्या भूमध्यसागरीय लोगों की थी। इसके अलावा प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड, मंगोलाइड तथा अल्पाइन लोगों का भी निवास था। यहाँ नीग्रो प्रजाति के लोग नहीं रहते थे।
Ques. 2:- 2. सिंधु घाटी की सभ्यता निम्नलिखित में से किस सभ्यता के समकालीन नहीं थी ?
- मिस्र की सभ्यता
- मेसोपोटामिया की सभ्यता
- चीन की सभ्यता
- ग्रीस की सभ्यता
सिन्धु की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता के सभ्यता के समकालीन थी क्योंकि इन देशों के साथ सैन्धव वासियों का व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध था। सिन्धु सभ्यता ग्रीस की सभ्यता के समकालीन नहीं थी।
Ques. 3:- 3. सिंधु घाटी की सभ्यता कहाँ तक विस्तृत थी ? ।
- पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर
- राजस्थान, बिहार, बंगाल और उड़ीसा
- पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा और बंगाल
- पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, सिंध और बलुचिस्तान
यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी। सिंधु घाटी की सभ्यता पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, सिंध और बलुचिस्तान तक विस्तृत थी।
Ques. 4:- 4. सिंधु घाटी की सभ्यता में घोड़े के अवशेष कहाँ मिले हैं ?
- सुरकोटदा :
- वणावली
- लोथल
- कालीबंगा
सुरकोटदा या ‘सुरकोटडा’ गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित है। इस स्थल से सिंधू घाटी की सभ्यता के विस्तार के प्रमाण मिले हैं। यहां घोड़े की अस्थियां एवं एक अनोखी क़ब्रगाह मिली है!
Ques. 5:- 5. सिंधु घाटी स्थल कालीबंगन किस प्रदेश में है ?
- राजस्थान में
- गुजरात में
- मध्य प्रदेश में
- उत्तर प्रदेश में
कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहां हड़प्पा सभ्यता के बहुत दिलचस्प और महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। काली बंगा एक छोटा नगर था। यहां एक दुर्ग मिला है। प्राचीन द्रषद्वती और सरस्वती नदी घाटी वर्तमान में घग्गर नदी का क्षेत्र में सैन्धव सभ्यता से भी प्राचीन कालीबंगा की सभ्यता पल्लवित और पुष्पित हुई।
Ques. 6:- 6. निम्नलिखित में से किस पदार्थ का उपयोग हड़प्पा काल की मुद्राओं के निर्माण में मुख्य रूप से किया गया था ?
- सेलखड़ी (Steatite)
- कांसा
- ताँवा
- लोहा
सेलखड़ी रत्न सफ़ेद रंग का मृदु पत्थर होता है। सेलखड़ी रत्न का उपयोग क्रीम, पावडर आदि बनाने के काम में किया जाता है। हड़प्पा के लोग मोतियों, मुहरों और कई अन्य कलाकृतियों को बनाने के लिए बड़े पैमाने पर स्टीटाइट का इस्तेमाल करते थे। इसलिए इसे ‘स्टीटाइट सभ्यता’ कहा जा सकता है और यह कई प्रकार के शिल्पों के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल था।
Ques. 7:- 7. हड़प्पा सभ्यता किस युग की थी ?
- कांस्य युग
- नवपाषाण युग
- पुरापाषाण युग
- लौह युग
सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता ‘कांस्य युग’ की मानी जाती हैदुनिया की चार प्रारम्भिक सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता हैं। यह सभ्यता कांस्य युग (ताम्रपाषाण काल) के अंतर्गत आती है। इस सभ्यता का विस्तार पश्चिम में बलूचिस्तान, पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश), दक्षिण में दाइमाबाद (महाराष्ट्र) और उत्तर में मंदा (जम्मू-कश्मीर) तक था। प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे ‘कांस्य सभ्यता’भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के1400 केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से 927 केन्द्र भारत में है। 80 प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से 3 प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है
Ques. 8:- 8. सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था ?
- व्यापार
- पशुपालन
- शिकार
- कृषि
हड़प्पा सभ्यता (हड़प्पा संस्कृति या सिन्धु सभ्यता) में हमे कृषि और पशुपालन की पर्याप्त व महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है | हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने कृषि पर अत्यधिक ध्यान दिया | मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और कालीबंगन में मिले अन्नागारों (कोठारों) से यह स्पष्ट होता है कि अनाज इतनी अधिक मात्रा में उगाया जाता था कि उनसे हड़प्पावासियों (सिन्धुवासियों) की तत्कालिक आवश्यकता की पूर्ति हो जाने के बाद भी उन्हें जमा किया जा सके |
सिन्धु सभ्यता में फसल काटने के लिए सम्भवतः पत्थर या तांबे के हँसियो का उपयोग होता था | यहाँ से कोई फावड़ा या फाल नही मिला है | कालीबंगन की पूर्व-हड़प्पा अवस्था में हल से खेती किये जाने के साक्ष्य मिले है | ये हल सम्भवतः लकड़ी के बने हुए होते थे जिसके निचले सिरे पर लकड़ी या तांबे की फाल लगी होती थी |
Ques. 9:- 9. हड़प्पा सभ्यता के निवासी थे ।
- ग्रामीण
- शहरी
- यायावर /खानाबदोश
- जनजातीय
सिंधु घाटी सभ्यता मुख्य रूप से एक शहरी संस्कृति थी, जो सरप्लस कृषि उत्पादन और वाणिज्य से जुड़ी थी, बाद में दक्षिणी मेसोपोटामिया में सुमेर के साथ व्यापार शामिल था । हड़प्पावासियों के पास सिंधु नदी के साथ कई व्यापारिक मार्ग थे जो फारस की खाड़ी, मेसोपोटामिया और मिस्र तक जाते थे। व्यापार की जाने वाली कुछ सबसे मूल्यवान चीजें कारेलियन और लैपिस लाजुली थीं । यद्यपि तांबे और कांस्य उपयोग में थे, फिर भी लोहे का उपयोग नहीं किया गया था। ‘कपास बुने हुए थे और कपड़ों के लिए रंगे थे; गेहूं, चावल, और कई प्रकार की सब्जियों और फलों की खेती की गई थी , और कूबड़ वाले बैल सहित कई जानवरों को पालतू बनाया गया था
Ques. 10:- 10. सिंधु सभ्यता के घर किससे बनाए जाते थे ?
- ईंट से
- बॉस से
- पत्थर से
- लकड़ी से
इस सभ्यता की सबसे विशेष बात थी यहां की विकसित नगर निर्माण योजना। हड़प्पा तथा मोहन् जोदड़ो दोनो नगरों के अपने दुर्ग थे जहां शासक वर्ग का परिवार रहता था। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर एक उससे निम्न स्तर का शहर था जहां ईंटों के मकानों में सामान्य लोग रहते थे। इन नगर भवनों के बारे में विशेष बात ये थी कि ये जाल की तरह विन्यस्त थे। यानि सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं और नगर अनेक आयताकार खंडों में विभक्त हो जाता था। ये बात सभी सिन्धु बस्तियों पर लागू होती थीं चाहे वे छोटी हों या बड़ी। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के भवन बड़े होते थे। वहाँ के स्मारक इस बात के प्रमाण हैं कि वहाँ के शासक मजदूर जुटाने और कर-संग्रह में परम कुशल थे। ईंटों की बड़ी-बड़ी इमारत देख कर सामान्य लोगों को भी यह लगेगा कि ये शासक कितने प्रतापी और प्रतिष्ठावान थे।
Ques. 11:- 11. हड़प्पावासी किस वस्तु के उत्पादन में सर्वप्रथम थे ?,
- मुद्राएँ
- कांसे के औजार
- कपास
- जौ
सर्वप्रथम हदाप्पवासियों ने कपास की खेती की शुरुआत की थी
Ques. 12:- 12. निम्नलिखित विद्वानों में से हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था?
- सर जॉन मार्शल
- आर० डी० बनर्जी
- ए० कनिंघम
- दयाराम सहनी
1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व दयाराम साहनी को इसका खोजकर्ता माना गया।
Ques. 13:- 13. सिंधु सभ्यता का पत्तननगर (बंदरगाह) कौन-सा था ?
- कालीबंगन
- लोथल
- रोपड़
- मोहनजोदड़ो
लोथल और सुतकोतदा-सिंधु सभ्यता का बंदरगाह था.
जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगन से प्राप्त हुआ है.
मोहनजोदड़ो से मिले अन्नागार शायद सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत थी.
मोहनजोदड़ो से मिला स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जो 11.88 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा है.
अग्निकुंड लोथल और कालीबंगा से मिले हैं.
सिंधु सभ्यता के लोग यातायात के लिए बैलगाड़ी और भैंसागाड़ी का इस्तेमाल करते थे.
पशुओं में कूबड़ वाला सांड, इस सभ्यता को लोगों के लिए पूजनीय था.
Ques. 14:- 14. पैमानों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिंधु घाटी के लोग माप और तौल से परिचित थे। यह खोज कहाँ पर हुई ?
- कालीबंगन
- हड़प्पा
- चन्हुदड़ी
- लोथल
लोथल की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिंधु घाटी के लोग माप और तील से परिचित थे।
सिन्धु घाटी तौल के लिए अनेक प्रकार के बाटों एवं मापों से परिचित थे. तोलने की तराजू भी खुदाई में प्राप्त हुई है. सर्राफों तथा जौहरियों के काम में आने वाले छोटे बाट भी मिले हैं जो स्लेट और पत्थर के होते थे. सबसे छोटे बाट का वजन 13.64 ग्राम के बराबर था और सबसे बड़े बाट का वजन इससे 640 गुना अधिक था. पत्थर के ऐसे भारी बाट भी प्राप्त हुए हैं जिन्हें लकड़ी या रस्सी की मदद से उठाया जाता होगा.
अनेक बातों से यह प्रतीत होता है कि सिन्धु घाटी के लोग आन्तरिक व्यापार के साथ-साथ विदेशों से भी व्यापार करते थे. इन बाटों की तोल में अनुपात 1,2,4,8,16,32, आदि का भेद था. संख्या के आधार पर कहा जा सकता है कि 16 इकाई वाले बाट सबसे ज्यादा प्रयोग होते थे. मोहनजोदड़ो में सीपी का एक फुट (माप पट्टी ) मिला है. इसमें 9 बराबर-बराबर के निशान बने हुए थे. इसके दो निशानों के मध्य का अन्तर 0.264 इंच के बराबर है. इसी तरह हड़प्पा नगर की खुदायी में कांसी की एक माप-पट्टी मिली है जिस पर नापने के अनेक चिन्ह लगे हुए हैं. प्रत्येक विभाग की लम्बाई 0.376 इंच है. विद्वानों ने दोनों फुटों के आधार पर अनुमान लगाया है कि हड़प्पा में 13.2 इंच का लम्बा फुटा काम में लाया जाता था. यहाँ एक अन्य माप का भी प्रयोग होता था जिसकी लम्बाई लगभग 20.44 इंच थी. इन फुटों का विभिन्न चीजों जैसे भूमि की माप, मकानों की लम्बाई-ऊँचाई आदि जानने के लिए प्रयोग किया जाता था.
Ques. 15:- 15. हड़प्पाकालीन समाज किन वर्गों में विभक्त था ?
- शिकारी, पुजारी, किसान और क्षत्रिय
- विद्वान, योद्धा, व्यापारी और श्रमिक
- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र
- राजा, पुरोहित, सैनिक और शूद्र
हड़प्पाकालीन समाज मुख्यतः 4 वर्गों में विभक्त था
1. विद्वान,
2. योद्धा
3.व्यापारी
4.श्रमिक
Ques. 16:- 16. सिंधु सभ्यता का सर्वाधिक उपयुक्त नाम क्या है ?
- हड़प्पा सभ्यता
- सिंधु सभ्यता
- सिंधु घाटी सभ्यता
- इनमें से कोई नहीं
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रारंभिक नगरों की खोजों में एक सामान्य बात थी कि यह सभ्यता सिंधु नदी के किनारे बसी हुई थी जिस कारण सर जॉन मार्शल के तत्कालीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निदेशक थे उन्होंने इसको सिंधु घाटी सभ्यता कहा
जैसे-जैसे समय बढ़ता गया उनकी खोजों का दायरा भी बढ़ता गया तो पता लगा सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे पूर्वी सीमा मेरठ में हिंडन नदी के किनारे बसा आलमगीरपुर था जहां पर सिंधु नदी का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था
क्योंकि इस प्राचीन सभ्यता की पहले खुदाई पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के माउंट गुमरी जिले में अवस्थित हड़प्पा में 1921 में दयाराम साहनी द्वाराकी गई थी
जिस कारण इस सभ्यता का सबसे उपयुक्त नाम हड़प्पा सभ्यता कहां गया
Ques. 17:- 17. निम्नलिखित में से कौन-सा/से लक्षण सिंधु सभ्यता के लोगों का सही चित्र करता है/करते हैं ?
1. उनके विशाल महल और मंदिर होते थे।
2. वे देवियों और देवताओं दोनों की पूजा करते थे।
3. वे युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे जानेवाले रथों का प्रयोग करते थे।
नीचे दिये गये कूट का प्रयोग कर सही कथन/कथनों को चुनिये
- केवल 2
- केवल 1 और 2
- 1, 2 और 3
- इनमें से कोई नहीं
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भगवान शिव की पूजा करते थे लेकिन उस समय उन्हें रुद्र के नाम से जाना जाता था जो कि वैदिक समतुल्य हैं सिंधु घाटी सभ्यता भारत की अति प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है और एक बार फिर से विदेश करा दूं कि सिंधु सभ्यता के जो लोग हुआ करते थे वह प्रकृति प्रेमी होते थे मतलब प्रकृति की उपासना करते थे लेकिन आराध्य देवता के रूप में भगवान पशुपतिनाथ जिन्हें हम रुद्र का क्या भगवान शिव का पर्यायवाची भी कह सकते हैं कि उपासना किया करते थे अति प्राचीन काल से सिंधु घाटी सभ्यता में भगवान शिव को अपना आराध्य मानने की परंपरा चली आई है और सामान भी मिले हैं
Ques. 18:- 18. हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई थी ?
- 1935 ई०
- 1942 ई०
- 1901 ई०
- 1921 ई०
चार्ल्स मेसन ने वर्ष 1842 में पहली बार हड़प्पा सभ्यता को खोजा था। इसके बाद दया राम साहनी ने 1921 में हड़प्पा की आधिकारिक खोज की थी तथा इसमें एक अन्य पुरातत्वविद माधो सरूप वत्स ने उनका सहयोग किया था।सर जॉन मार्शल ने सिन्धु घाटी सभ्यता को ‘हड़प्पा सभ्यता’ का नाम दिया था
Ques. 19:- 19. हड़प्पा सभ्यता के बारे में कौन-सी उक्ति सही है?
- उन्हें अश्वमेध की जानकारी थी
- गाय उनके लिए पवित्र थी
- उन्होंने पशुपति का सम्मान करना आरंभ किया
- उनकी संस्कृति सामान्यतः स्थिर नहीं थी
संधु घाटी सभ्यता के लोग भगवान शिव की पूजा करते थे लेकिन उस समय उन्हें रुद्र के नाम से जाना जाता था जो कि वैदिक समतुल्य हैं सिंधु घाटी सभ्यता भारत की अति प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है और एक बार फिर से विदेश करा दूं कि सिंधु सभ्यता के जो लोग हुआ करते थे वह प्रकृति प्रेमी होते थे मतलब प्रकृति की उपासना करते थे लेकिन आराध्य देवता के रूप में भगवान पशुपतिनाथ जिन्हें हम रुद्र का क्या भगवान शिव का पर्यायवाची भी कह सकते हैं कि उपासना किया करते थे अति प्राचीन काल से सिंधु घाटी सभ्यता में भगवान शिव को अपना आराध्य मानने की परंपरा चली आई है और सामान भी मिले हैं
Ques. 20:- 20. हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति…… थी
- उचित समतावादी
- दास-श्रमिक आधारित
- वर्ण आधारित
- जाति आधारित
हड़प्पा कालीन समाज विद्वान,योद्धा, व्यापारी, और श्रमिक वर्ग में बटा हुआ था तथा इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार हुआ करता था और ये लोग कपास की खेती के बारे में भी भली भांति जानते थे तथा यह लोग मुद्राओं का निर्माण करने के लिए टेराकोटा का प्रयोग करते थे.
हड़प्पा सभ्यता के लोग उचित समतावादी सामाजिक पद्धति पर आधारित थे.